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सभ्य समाज की धुरी...

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सभ्य समाज की धुरी...

सभ्य समाज की धुरी ‘विवाह एवं परिवार

Author Name : डॉ.लक्ष्मी गौतम

समाज की संरचना का आधार परिवार है। परिवार ही समाज की मूल इकाई है। समाज में मान्य आदर्शांे और उसकी व्यवस्थाओं में सहायक के रूप में परिवार ने व्यवस्थाओं में सहायक के रूप में परिवार ने एक सफल पाठशाला, प्रयोगशाला या कार्यशाला के रूप में मान्यता प्राप्त की है। परिवार में ही व्यक्ति जन्म लेकर समाज में अपने दायित्यों के निर्वहन का प्रयास करता है परिवार के माध्यम से ही वह समाज के अन्य वर्गो से सम्पर्क और सम्बन्ध स्थापित करता है, जिनका पालन पोषण परिवार के माध्यम से ही सम्भव होता है। परिवार को संगठन की दृष्टि से देखा जाए तो उसके मूल में सहयोग की भावना और सांमजस्यता ही उसकी धुरी है। परिवार का मूल व्यक्ति के अबोध शिशुकाल में और वृद्धावस्था में सुरक्षा प्रदान करना है। परिवार की मूल धुरी सबके सहयोग से पारिवारिक कार्यों में सभी सदस्यों के श्रम विभाजन की व्यवस्था भी है। परिवार की धुरी के रूप में पति-पत्नी का अस्तित्व महत्वपूर्ण है। पति और पत्नी को परस्पर जोड़ने और एक सूत्र में बांधने का कार्य विवाह संस्था करती है।