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बाल गंगाधर तिलक क...

बाल गंगाधर तिलक के राजनीतिक विचार एवं स्वराज्य सम्बंधित अवधारणा

Author Name : डॉ राजकुमार गोयल

शोध सारांश

बाल गंगाधर तिलक अपनी राष्ट्र भक्ति, देश के प्रति अपने अथक त्याग व बलिदान के लिए जाने जाते हैं। उनके काल में कोई दूसरा ऐसा नेता नहीं था जिसे जनता उनसे अधिक प्यार करती हो । जनता उन्हें ’लोकमान्य’ कहकर पुकारती थी। वे आधुनिक भारत के महानतम कर्मयोगियों में से हैं । उन्होंने भारतवासियों को स्वराज्य के अधिकार का प्रथम पाठ पढ़ाया। सर वैलेण्टाइन शिरोल द्वारा तिलक को ’भारतीय अशान्ति के जनक’ की उपाधि देना उस महान् भूमिका का प्रमाण है जो तिलक ने नवीन राष्ट्रवाद के प्रचार करने में अदा की । राजनीति के सम्बन्ध में तिलक ने आदर्शवादी मार्ग नहीं अपनाया। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन। “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा“ के नारे के साथ स्व-शासन के उनके आह्वान ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाखों लोगों को प्रेरित किया। उन्हें लोकमान्य की उपाधि से सम्मानित किया गया, जिसका अर्थ है “लोगों द्वारा एक नेता के रूप में स्वीकार किया गया।“तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। उनके पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक संस्कृत के विद्वान थे। तिलक स्वयं एक गणितज्ञ, दार्शनिक और विद्वान थे। तिलक हिंदू शास्त्रों में अच्छी तरह से पढ़े गए थे, और वे तत्वमीमांसा और राजनीति के पश्चिमी विचारों से भी प्रभावित थे। उसने वोल्टेयर, रूसो, हेगेल और कांट को पढ़ा था। 

मुख्य शब्द:-  बाल गंगाधर तिलक के राजनीतिक विचार ,  स्वराज्य सम्बंधित धारणा , राष्ट्रीय शिक्षा , स्वदेशी आंदोलन  , सामाजिक विचार एवं निष्कर्ष ।