International Journal of All Research Education & Scientific Methods

An ISO Certified Peer-Reviewed Journal

ISSN: 2455-6211

Latest News

Visitor Counter
2268500416

कबीर और महात्मा ग...

You Are Here :
> > > >
कबीर और महात्मा ग...

कबीर और महात्मा गांधी के विचार बिन्दु

Author Name : डॉ0 सुमन सिंह

हिन्दी साहित्य के इतिहास में ‘कबीर’ का आविर्भाव एक युगान्तकारी घटना है। कबीरकालीन परिस्थितियां धार्मिक एवं सामाजिक दृष्टि से अत्यन्त विद्रूप हो चुकी थी ऐसे में कबीर का जन्म समाज के लिए एक संजीवनी की तरह था, जो उन्हे इनकी समस्याओं के निजात के लिए पूरी तरह से आश्वस्त कर सकता था। कबीर ने अपने समय की सामाजिक एवं धार्मिक परिस्थितियों को पूरी तरह से समझने की कोशिश की।वे ऐसे रास्ते का निर्माण करना चाहते थे। कि समाज में व्याप्त उच्छृंखलता पूरी तरह से समाप्त हो सके। सभी जातियों में व्याप्त भेद-भाव, ऊँच-नीच की भावना, छूआ-छूत, रूढ़ियां, वाह्याडम्बर, अपने धर्मो की श्रेष्ठता का अहंकार समाप्त हो सके। इसके लिए उन्होने ‘सत्य’ को अपना हथियार बनाया और इसकी सहायता से उन्होने अपने उद्देश्य में समफलता प्राप्त की। 

हम आज के युग में भारत को गुलामी की दासता से मुक्त कराने वाले महात्मा गांधी के विचारों का अध्ययन करते है तो सौ प्रतिशत यह प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी का विचार समाज में उनसे पहले अवतरित कबीर से मिलता है। अतः आवश्यकता प्रतीत हुई कि, यदि कबीर और गांधी के विचारों को दृष्टिगत में रखते हुए एक लेख प्रस्तुत किया जाय तो अत्यन्त प्रासंगिक होगा। क्योकिं गांधी जी के विचारों में सत्य, अहिंसा, छूआ-छूत, वाह्याडाम्बर रूढ़ि, सम्प्रदाय और धर्म के पाखण्ड के विरूद्ध अभिव्यक्ति हुई है।