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महिला सशक्तिकरण ...

महिला सशक्तिकरण भारतीय परिप्रेक्ष्य में

Author Name : डॉ0 अनिल कुमार श्रीवास्तव

भारतीय परिप्रेक्ष्य में नारी सृष्टि की सुन्दर कृति जो इस मानव जीवन का आधार है। जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पुरातन काल से ही भारत में नारी का विशिष्ट स्थान है। यहां नारी की पूजा विभिन्न रूपों में की जाती है। 21 वीं सदी में भी नारी का वही स्थान है। 21 वीं सदी की भारतीय नारी ने विभिन्न कठिनाइयों को पार करते हुए विश्व में यह स्थान प्राप्त कर लिया है। आज नारी की इसी विकास गाथा को महिला सशक्तिकरण का नाम दिया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं का समाज में शक्तिशाली होना व उचित सम्मान प्राप्त करना। अगर देखा जाए तो पुरातन काल से ही भारतीय समाज में महिलाओं ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी है। चाहे बात युगों की हो या आजादी से पूर्व की महिलाओं ने अपना वर्चस्व हमेशा कायम किया। चाहे बात माता सीता की हो या अपने राज्य के लिए अपने बच्चों की प्राणों की बलि देने वाली पन्नाधाय की या फिर अपने राष्ट के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाली लक्ष्मीबाई की। आजादी के बाद महिलाओं ने वास्तव में कई क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं का परिचय दिया। चाहे वह क्षेत्र राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक कोई भी हो।