International Journal of All Research Education & Scientific Methods

An ISO Certified Peer-Reviewed Journal

ISSN: 2455-6211

Latest News

Visitor Counter
3164576663

डॉक्टर भीमराव अं...

You Are Here :
> > > >
डॉक्टर भीमराव अं...

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के सामाजिक न्याय एवं विचारों का अध्ययन

Author Name : डॉ॰ बबीता

सारांश

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक ऐसे न्यायपूर्णसमाज का स्वप्न देखते थे, जिसमें महŸाा और सामाजिक स्तर के मामले में सभी व्यक्तियों के साथ समान रूप से व्यवहार किया जाए। सामाजिक समानता और शोषण के कारकों को पूरी तरह से खारिज करते थे। वह मानते थे कि एक व्यवस्था के भीतर समतावादी न्याय सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को कायम करने की जरूरत होती है। परंपरागत समाज की शोषणकारी शक्तियों के विरुद्ध जीवन पर्यन्त संघर्षरत रहे। उन्होंने अछूतों को उनके शर्मनाक जीवन का जो वे सदियों से जी रहे थे एहसास कराया तथा उनके जीवन से मुक्ति पाने के लिए प्रेरित किया। बाबा साहब एक ऐसे समाज का विकास करना चाहते थे जिसमें समानता, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व का साम्राज्य हो।बाबा साहब लोगो में सामाजिक चेतना पैदा करना चाहते थे, लेकिन सामाजिक विकास एवं सामाजिक समस्याओं के सुधार के लिए वे सामाजिक चेतना को अति आवश्यक मानते थे। बाबा साहब के अनुसार सामाजिक चेतना ही व्यक्ति के अधिकारों का रक्षक है। उनका न्यायसंगत समाज तनी मौलिक सिद्धान्तों पर आधारित है - स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व। डॉक्टर अंबेडकर अंबेडकर के सामाजिक न्याय का विचार मूलतः एक ऐसी जीवन पद्धति का समर्थक है, जो पारस्परिक मान-सम्मान, गरिमापूर्ण जीवन,मैत्रीभाव, समान नागरिक होने की उत्कृष्टता तथा राष्ट्रीय जीवन में उचित भागीदारी को सुनिश्चित करें।
शोध पत्र में यही वर्णन किया गया है कि डॉक्टर बी.आर. अंबेडकर ने जिस तरह से समाज में छुआछूत जातीय भेदभाव को सहन करके किस प्रकार से प्रयासरत रहे। प्रस्तुत शोध पत्र में बाबा साहब का भीमराव अंबेडकर के सामाजिक क्षेत्र में लोगों को न्याय दिलाने के क्षेत्र में किए गए बदलाव का वर्णन किया गया है।
मुख्य शब्द: डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, सामाजिक न्याय, सामाजिक विचार, सामाजिक चेतना, छुआछूत, भेदभाव।