International Journal of All Research Education & Scientific Methods

An ISO Certified Peer-Reviewed Journal

ISSN: 2455-6211

Latest News

Visitor Counter
6172944114

शेरशाह सूरी एवं क...

You Are Here :
> > > >
शेरशाह सूरी एवं क...

शेरशाह सूरी एवं कृषि व्यवस्था

Author Name : डाॅ॰ अवनीत रंजन

भूमिका: आदिकाल से भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। सत्तर से नब्बे प्रतिशत देश की जनता के जीवन यापन का आधार कृषि रही है। समस्त भूमंडल का यह एक ऐसा विलक्षण देश है जहाँ की जमीन अत्यधिक उपजाऊ है। यहाँ अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ मशाले, फूल उगाये जाते हैं। मध्य अफ्रीका का खजूर व तरबुज यहाँ आसानी से उगाया जाता है तो आम और लीची जैसा मधुर फल भी। यहाँ (हिन्दुस्तान) का हींग और केशर (काश्मीर का) दुनिया के अन्य भागों में अनुपलब्ध है। स्केंडेविया का आलू और रूस के गेहूँ के साथ-साथ चीन जापान वाला धान यहाँ के अपूर्व फसल माने जाते हैं। मानों ये अनाज मूल रूप से यही के हो। देश में पश्चिम से लोगों का आगमन मुख्य रूप से जीविका के लिये हुआ है। इसमें प्रमाण देने की अवश्यकता नहीं है। इस देश के शासकों का आधार किसी न किसी रूप से कृषि है। कृषि योग्य भूमि जिस राज्य के पास जितनी होती है उसी पर उसकी शान होती है। साम्राज्य विस्तार की अभिलाषा भी कृषि पर ही आधारित है क्योंकि इससे जन और धन दोनों की पूत्र्ति होती है, जिससे राज्य की औकात बढ़ती है।