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’’शासकीय एवं अशा...

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’’शासकीय एवं अशा...

’’शासकीय एवं अशासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के किशोर विद्यार्थियों के व्यक्तित्व पर अध्ययन’’

Author Name : Dr. Brijesh Pratap Yadan

प्रस्तावना

शिक्षा मानवीय चेतना का वह जयोर्तिमय सुसंस्कृत पक्ष है जिससे शक्ति का बहुमुखी विकास होता है। शिक्षा मनुष्य के विकास की पूर्णता की अभिव्यक्ति है ंशिक्षा मानव जीवन की बौद्धिक तथा सामाजिक विकास मे ंआजन्म से चल रही एक प्रक्रिया है। मानव जन्म से मृत्य तक जो कुछ सीखता है, करता है अपनाता है, अनुीाव करता हे, यह शिक्षा ही है। शिक्षा बालक के सर्वागीण का आधार मानी गयी है। बालक का व्यक्तिगत विकास शिक्षा पर निीार करता है। व्यक्तित्व मात्र बाह्य बनावट (रूप, रंग, आकार) से ही निर्धारित नहीं होता ळे अपितु कुछ आंतरिक गुणों का होना भी अत्यंत आवश्यक होता है व्यक्ति के व्यवहार का निर्धारण  करने तथा उसे स्थायी रूप् देने मं जो तत्व काम आते है उन सभी का योग तथा परिणाम व्यक्ति की समग्र छवि के विषय में एक धारण प्रसतुत करता है यही धारणा व्यक्तित्व है। व्यक्तित्व व्यक्ति की समस्त गुणों, योग्यताओं तथा व्यवहार आदि का योग है। व्यक्ति अपने गुणों से दूसरों को जितना अधिक प्रभावित करता है उसका व्यक्तित्व उतना ही अच्छा और पभावशाली माना जाता है।