International Journal of All Research Education & Scientific Methods

An ISO Certified Peer-Reviewed Journal

ISSN: 2455-6211

Latest News

Visitor Counter
6407018079

सामाजिक न्याय की ...

You Are Here :
> > > >
सामाजिक न्याय की ...

सामाजिक न्याय की अवधारणा, विकास और महिला सशक्तिकरण से संबंधित सामाजिक न्याय पर डॉ. बी. आर. अंबेडकर के दृष्टिकोण के विकास का अध्ययन

Author Name : डॉ. सचिन कुमार प्रभाकर, बाल बिहारी मिश्रा

डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक महान नारीवादी चिंतक थे। उन्होनें अपने जीवनकाल में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अनेक प्रयास किए। उन्होनें अपनी रचनाओं में भारतीय महिलाओं की स्थिति के बारे में विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने बताया कि मनु से पूर्व भारत में महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक थी। उन्होंने कहा कि मनु से पूर्व महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करने व धार्मिक स्त्रियाओं को सम्पन्न करने का अधिकार था। उनका विचार था कि देश में मनु ने महिलाओं की स्थिति को काफी दयनीय व चिंताजनक बना दिया। मनु की ’मनुस्मृति’ से महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक विकास पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग गया। आधुनिक युग में डॉ. अम्बेडकर ने महिलाओं को जागृत करने के लिए अनेक सम्मेलन किए। डॉ. अम्बेडकर ने ’मूकनायक’ व ’बहिस्कृत भारत’ इत्यादि समाचार-पत्रों के माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकारों की प्राप्ति के लिए प्रेरित किया। 1941 में ’हिन्दू कोड बिल’ के द्वारा भारत सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रयास किया। डॉ. अम्बेडकर ने कानून मंत्री रहते हुए ’हिन्दू कोड बिल’ का कार्य अपने हाथों में लिया लेकिन रूढ़ीवादी लोगों ने इस बिल का विरोध किया।