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संत परम्परा का उद...

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संत परम्परा का उद...

संत परम्परा का उद्भव एवं विकास

Author Name : डाॅ0 सुमन देवी

शोध-आलेख सार

संत शब्द अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण अर्थ लिये हुए है। संत शब्द शम्$त से बना है1 जो साधु, सन्यासी, त्यागी पुरूष, महात्मा, ईश्वर-भक्त, आदि के लिए प्रयुक्त होता है। वस्तुतः संत शब्द की व्युत्पत्ति ‘संत’ या सद् शब्द से माननी चाहिए। डाॅ0 बाबू राम ने संत शब्द की व्याख्या करते हुए बताया है कि संत वह है, जो जल में कमलवत् रहता है। वह संसार में रहता हुआ भी सांसारिक मोहमाया से मुक्त रहता है। संत वह है, जो जीवन मुक्त है। संत शरीरधारी और ग्रहस्थ होने पर भी जीवित अवस्था में ब्रह्यलीन रहते है। इसीलिए संतों को ब्रह्य साकार स्वरूप कहा जाता है। वास्तव में जिन्होंने ब्रह्य का साक्षात्कार कर लिया है, वही संत है। साधारण बोलचाल की भाषा में ब्रह्यज्ञानी को संत कहा जाता है।2