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आरती लोकेश की कहा...

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आरती लोकेश की कहा...

आरती लोकेश की कहानी संग्रह‘ कुहासे के तुहिन’ में स्त्री का आर्थिक संघर्ष

Author Name : डॉ. रामरती, रितु देवी

‘कुहासे के तुहिन’ कहानी संग्रह शीर्षक ही अपने आप में बहुसम्पन्न है। सीधे-सीधे इसका अर्थ लगाना एक आय पाठक के लिए थोड़ा-सा मुष्किल काम है और संभवतः यही पाठक का इसकी रचनाओं तक ले जाने में बहुत अन्य कारणों में से एक कारण भी बनता है। जीवन एक विकट कुहासे की तरह ही तो है भले ही यह एक विषेष बेला में ही उत्पन्न होता हो लेकिन इसके अनुकूल और प्रतिकूल प्रभावों से जीवन अलग-अलग रूप में प्रभावित होता है। कहानी मंे नारीयन, उसकी जिम्मेदारियाँ, मानसिक जूझन तथा अँधेरे में भी प्रकाष का सम्पुट ढूँढ़ने वाली नारी के आर्थिक संघर्ष का चित्रण किया गया है। कहानी उसकी पात्र देबाक्षी के आस-पास घूमती है जो कि बंगाल से संबंधित है। कहानी में बंगाली संस्कृति का उल्लेख किया गया है। स्थानों का वर्णन कहानी की रोचकता का वर्णन किया गया है। इस कहानी संग्रह में बलात्कार उत्पीड़न, बचपन के प्रतिकार, संयारा परंपरा, नारी महत्व की पराकाष्ठा, महिला सषक्तिकरण कोरोना काल की भयावह परिस्थितियों में आर्थिक संकट तथा आत्मीय संबंधों की तिड़कन, लेखक-संपादक संबंध, वृद्धां का तिरस्कृत जीवन, पैसोे क अभाव एवं खुद्दारी की भावना, बड़े होने के नाते उत्तरदायित्व एवं बलिदान की भावना, भारतीय संस्कृति की पहचान, पत्थरोें से जुड़ी मानवीय संवेदनाएं, प्रवास अनुभवों के दौरान आर्थिक समस्याओं से जूझती नारी विभिन्न परिस्थितियों का वर्णन है।