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अशासकीय माध्यमि...

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अशासकीय माध्यमि...

अशासकीय माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं की पाठ्य सहगामी अभिरूचि का तुलनात्मक अध्ययन

Author Name : डॉ. धीरज शिन्दे, रामप्यारे दुबे

1. प्रस्तावना
 
व्यापक अर्थ में शिक्षण् वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने परिवार, विद्यालय मित्रता, व्यवसाय तथा वातावरण से अनुकूलन के लिये आजीवन शिक्षण् प्राप्त करता है। बालक को अपने परिवार, विद्यालय, खेल के मैदान, समाज और पड़ोस से शिक्षा मिलती है और उसकी यह शिक्षा जीवन पर्यन्त चलती रहती है। समाज में प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे को शिक्षित करता रहता है। इसका अर्थ यह हुआ कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे को शिक्षण् प्रदान करता है। सीमित अर्थो में शिक्षण् केवल औपचारिक साधनों के द्वारा दिया जाता है और यह एक द्विमुखी प्रक्रिया है जिसमें विषय, बालक और अध्यापक आपस में सम्बन्धित रहते है। जब तक यह तीनों आपस में नहीं मिलते तब तक शिक्षण् प्रक्रिया सम्भव नहीं होती। आज के शिक्षण् का स्परूप् परम्परागत शिक्षण् के स्परूप से बिल्कुल बदल चुका है। शिक्षा षास्त्रियों ने नवीन षिक्षा के सिद्धान्तों और शिक्षण् प़तियों का प्रतिपादन एवं आविष्कार किया है। आज शिक्षण् को पूर्ण रूप से बाल केन्द्रित बनाया गया गया है। शिक्षण् में औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही साधनों को प्रयोग मेें लाया जा रहा है।