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विद्यार्थियों में अनुशासन का महत्व समस्याएं एवं समाधान

Author Name : डॉ. रूकमणी मीणा

शोध सारांश

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु उपसर्ग है जो शासन से जुड़ा है और जिससे अनुशासन शब्द बना है। जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। हमारे जीवन के हर एक काम के लिए बेहतर अनुशासन की आवश्यकता होती है। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में तो कहीं ज्यादा अनुशासन की आवश्यकता होती है। यदि अनुशासन का पालन नहीं किया जाए, तो जीवन पूरी तरह खत्म हो जाएंगा। वही अगर हम बात करे अपने इतिहास की तो आपको कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिसमें अनुशासन की बदौलत ही किसी लक्ष्य को पाया होगा। यह एक कटु सच्चाई है कि अनुशासन के बिना सफलता नहीं हासिल की जा सकती। जिस देश के लोग अनुशासित हैं, जहां की सेना अनुशासित है, वह देश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहेगा, वह सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ता रहेगा। छात्रों में अनुशासनहीनता का एक प्रमुख  कारण है । पुस्तकीय ज्ञान पर आधारित आधुनिक शिक्षा पद्धति छात्र को बेकारों की भिड़ में ले जाकर खड़ा कर देती है। जब उसे नोकरी नही मिलती है, तो वह हर प्रकार के अनुशासन को तोड़कर तोड़-फोड़ जैसे कार्यो में प्रव्रत हो जाती है। छात्रों में व्याप्त अनुशासनहीनता का एक करण ये भी है की आजकल शिक्षा संस्थाये राजनीति के अखाड़े बन गई है। वहाँ निष्ठावान ओर चरित्रवान शिक्षको की कमी रहती है। प्रबंध समिति के अयोग्य रिश्तेदारों को प्रायः शिक्षक जैसे जिम्मेदार पद पर नियुक्त कर दिया जाता है। ये शिक्षक स्वयं किसी अनुशासन को स्वीकार नही करते फिर उनके द्वारा पढ़ाए गये शिष्य ही किसी अनुशासन को कैसे स्वीकार कर सकते है । चलचित्र ओर फैशन ने भी विद्यर्थियों में अनुशासनहीनता फैलाने में कमी नही छोड़ी है। चलचित्र की भोंडी ओर विषैली दृश्यावलियों ने हमारे छात्रों की मानसिकता को छीन बना दिया है। फैशन ने अनुशासनहीनता के बढ़ाने में “आग में घी” वाला काम किया है। आज का छात्र फैशन में इतना फंस गया है कि अपने मुख्य लक्ष्य ज्ञानर्जन को भी भूल गया है। राजनीतिक दल भी अनुशासनहीनता को बढावा देने वाले मुख्य स्रोत है। इन दलों के नेता कोमल मन वाले छात्रों को भड़का कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते है। जब ये नेता कुर्सी पर होते है, तो कहते है कि छात्रों को राजनीति से दूर रहकर अनुशासित जीवन व्यतीत करना चाहिए ,लेकिन जब कुर्सी से अलग होते है। तो उन्हें राजनीति के दलदल में फंसने की सलाह देते है।

मुख्य बिन्दु:- शिक्षा में अनुशासन का महत्व , अनुशासित रहने के तरीक़े , प्रकृति में अनुशासन , अनुशासन के प्रकार , अनुशासनहीनता की समस्या , समाधान एवं निष्कर्ष ।