International Journal of All Research Education & Scientific Methods

An ISO Certified Peer-Reviewed Journal

ISSN: 2455-6211

Latest News

Visitor Counter
6080462777

पारिस्थितिकी सं...

You Are Here :
> > > >
पारिस्थितिकी सं...

पारिस्थितिकी संतुलन और आदिवासी

Author Name : डॉ. देशराज वर्मा

आज के अतिदोहन केन्द्रित विकास की भयावहता से मानव जाति काँप उठी है। प्रकारान्तर से विकास, विनाष का पर्याय सिद्ध हो रहा है। विकास के परिपार्ष्वों से विनाष की आषंकाएँ झाँक रही हैं। प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से जो विकास का मॉडल बना है, वह मानव सभ्यता के अस्तित्व की कीमत माँग रहा है। कुदरत ने इस धरा पर अनेक अमूल्य एवं अपरिहार्य नियामते उपहार में बक्षी हैं। पानी, हवा, धूप, जमीन, आकाष, अग्नि आदि महाभूत इस सृष्टि-जगत के आधार हैं।