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महात्मा गाँधी के राष्ट्रवाद का राजनीतिक अध्ययन
Author Name : डॉ. अशोक आर्य
शोध सारांश
गांधी ने राष्ट्रवाद को एक अलग तरीके से प्रस्तुत किया। गांधी ने राष्ट्र को प्रजा से जोड़ा। गांधी के राष्ट्रवाद को उनकी सोच से अलग नहीं किया जा सकता। दूसरे शब्दों में, गांधी ने राष्ट्रवाद पर अलग से अपने विचार प्रस्तुत नहीं किए। गांधी के विचारों में राष्ट्रवाद को समझने के लिए उनकी विचारधारा और संपूर्ण दर्शन का अध्ययन करना आवश्यक है। उनके लिए, राष्ट्रवाद भारत की स्वतंत्रता के लिए निहित संघर्ष में निहित था। इस विषय पर उनके विचारों को समझने के लिए इन दो बातों पर ध्यान देना जरूरी है कि गांधी के हृदय में राष्ट्रवाद नाम का पौधा भारत में नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका में पनपा था। और यही तथ्य उन्हें अन्य भारतीय राष्ट्रवादियों से अलग करता है। दूसरे, चंपारण या बारडोली के बजाय ट्रांसवाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर गांधी ने अपने अद्भुत और अद्वितीय राजनीतिक दर्शन, पद्धतियों का विकास किया। गांधी ने किसी एक स्थान पर राष्ट्रवाद के बारे में कोई ठोस विचार नहीं दिया है, इसलिए गांधी के दृष्टिकोण में राष्ट्रवाद को समझने के लिए संपूर्ण गांधी साहित्य का अध्ययन करना आवश्यक है। राष्ट्रवाद को लेकर पिछले कुछ समय से यह बहस चल रही है कि राष्ट्रवाद का वास्तविक अर्थ क्या है? राष्ट्रीयता की भावना का क्या अर्थ है? इसका उत्तर महात्मा गांधी के राष्ट्रवाद में निहित है, क्योंकि यह राष्ट्रवाद पर व्यापक रूप से प्रकाश डालता है। गांधी के राष्ट्रवाद को समझने से पहले राष्ट्रवाद के सामान्य अर्थ को समझना आवश्यक है। प्रस्तुत शोध पत्र में गांधी जी का राष्ट्रवाद का राजनीतिक अध्ययन किया गया है ।
मुख्य शब्द:- गांधीजी के राष्ट्रवाद की विशेषताएं, आर्थिक पुनर्निर्माण पर विचार, श्रम और उत्पादन पर, राजनीतिक चिंतन का झलकना , सांस्कृतिक स्वराज्य के पक्षधर, राष्ट्रवाद औपनिवेशिक सत्ता से प्रेरित , राष्ट्रवाद बिना किसी भेदभाव , राष्ट्रवाद धार्मिक होने के साथ-साथ धर्मनिरपेक्ष , राष्ट्रवाद का सिद्धांत जन आधारित एवं निष्कर्ष ।