International Journal of All Research Education & Scientific Methods

An ISO Certified Peer-Reviewed Journal

ISSN: 2455-6211

Latest News

Visitor Counter
3164576645

महादेवी वर्मा के ...

You Are Here :
> > > >
महादेवी वर्मा के ...

महादेवी वर्मा के गद्य में दलित-चेतना

Author Name : डॉ. देशराज वर्मा

शोध-पत्र सारांश

आधुनिक हिन्दी साहित्य अपने सामाजिक सरोकारों के कारण सही अर्थों में विमर्शमूलक हो गया है। विशेषकर गद्य लेखन में वैचारिक वेदना का समाधानमूलक धरातल ने साहित्य पाठ और लेखन की अवधारणा ही बदल डाली है। अब साहित्य रसानुभूति का लक्ष्य ही लेकर नहीं चलता वरन् वह समाज को नई दिशा, नया उजाला और नई गति देने वाला समाजशास्त्रीय दस्तावेज की भूमिका का निर्वहन करने में सक्षम हो गया है। वह सच्चे अर्थों में समाज का दर्पण या कैमरा नहीं वरन् चित्रकार का सम्पूर्ण चित्र बनने लगा है। इन सबकी परिणति हमंे दलित, स्त्री तथा आदिवासी विमर्श के रूप में मिलने लगी है। आधुनिक युग की मीरा कहे जाने वाली लेखिका महादेवी वर्मा के काव्य तथा गद्य का नये सिरे से मूल्यांकन किया जाने लगा है और किया जाना भी चाहिए। हम मध्यकालीन दृष्टि से उनका मूल्यांकन नहीं कर सकते। उन्होंने अपने गद्य में चिरदलित स्त्री वर्ग और जाति व्यवस्था के शिकार कमजोर तबके के पात्रों के संस्मरण चित्रों तथा निबंधों में दलित के समााजिक सरोकारों का जाने-अनजाने निर्वहन किया है।