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रेणु के कथाओं में...

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रेणु के कथाओं में...

रेणु के कथाओं में नारी का मनोवैज्ञानिक चित्रण

Author Name : अनीता कुमारी

जिस समय रेणु लेखन कर रहे हैं उस समय समाज में स्त्रियों के लिए रूढ़ियाँ और परम्पराएँ तो जटिल थी साथ ही समाज लम्बी गुलामी को भी झेल चुका था। स्वतन्त्रता के पश्चात् सामाजिक संरचना में अनेक परिवर्तन आ रहे थेए परन्तु ये परिवर्तन स्त्री की स्थिति को विशेष प्रभावित नहीं कर पा रहे थे। भारत का ग्रामीण समाज अब भी अत्यन्त पिछड़ा हुआ था और ग्रामीण स्त्री अब भी रूढ़ियों में जकड़ी हुई थी। स्त्री से सम्बन्धित विधवा.विवाहए अनमेल  विवाहए वैश्यावृत्तिए बहुपत्नी.प्रथा और स्त्री का क्रय.विक्रय आदि सामाजिक समस्याएँ ज्यों की त्यों बनी हुई थी। स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान सुधारवादी आंदोलनों के बावजूद स्त्री.समस्याओं की जड़ता में कोई परिवर्तन नहीं आया। रेणु ने अपने उपन्यासों में इन समस्याओं और परिस्थितियों का यथार्थ चित्रण कर  भारतीय समाज में नारी की स्थिति बड़ी ही दयनीय रही है।