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ब्रज की आदि कालीन...

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ब्रज की आदि कालीन...

ब्रज की आदि कालीन स्थापत्य कला एवम् मूर्ति कला

Author Name : डा.लक्ष्मी गौतम

ब्रज का पुरातन नाम शूरसेन था, जिसकी गणना प्राचीन काल में भारतवर्ष के सोलह बडे़ जनपदों में की जाती थी। ब्रज के स्थापत्यकला एवं मूर्तिकला की जानकारी के óोत, प्राचीन अनुश्रुतियों, परम्परागत, किंवदंतियों तथा रामायण, महाभारत, पुराण काव्यों एवं साहित्यिक ग्रन्थों से मिलती है।

पुरातन ब्रज अर्थात शूरसेन जनपद के आदि कालीन स्थापत्य का सर्वप्रथम उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। उससे ज्ञात होता है कि श्री राम के राजत्वकाल से पहले असुरराज मधु का शासन इस भू भाग पर था और यहाँ का मधुवन उसकी राजधानी थी। बाल्मिीकि के अनुसार - मधु का राजभवन उसकी राजधानी थी। वाल्मीकि के अनुसार मधु का राजभवन चमकदार एवं श्वेत पालिश का बहुत ऊंचा और भव्य था। श्री राम के शासन काल में मधु का पुत्र लवण मधुवन का राजा था। वह महावली होने के साथ क्रूर और अत्याचारी भी था। राम ने उसके विरूद्ध अपने अनुज शत्रुघ्न को एक बड़ी सेना सहित मधुवन भेजा था। लवण के साथ शत्रुघ्न का भीषण युद्ध हुआ जिसमें असुरराज मारा गया। तुदपरांत शत्रुघ्न ने मधुवन के एक भाग को साफ कराकर वहाँ मथुरा नगर की स्थापना की। उसे यमुना नदी के तट पर अर्ध चन्द्राकार बसाकर शूरसेन की राजधानीबनाया गया। उस काल में मथुरा नगर अपने भवनों, बाग-बगीचों तथा बिहार स्थलों से अति शोभायमान था, उसे देख लगता था कि वहाँ देवता वास करते है। इतिहासज्ञों के मतानुसार मथुरा की वह प्रथम बस्ती थी जो वर्तमान नगर के दक्षिण-पश्चिम की दिशा में उस स्थान पर बसी थी, जिसे अब महोली कहते हैं। उस काल में यमुना नदी की मुख्य धारा अथवा कोई उपधारा वहाँ प्रवाहित होती थी, जबकि आधुनिक काल में यह नदी वहाँ से बहुत दूर हो गई है।