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वंशावली लेखन में ...

वंशावली लेखन में वर्तमान चुनौतियां तथा संरक्षण एक ऐतिहासिक अध्ययन

Author Name : मधुलता सैनी

शोध सारांश

वंश परम्परा के इतिहास लेखक वंशावलियों वृक्ष परम्परा के इतिहास वंशवृक्ष की जानकारी देने वाले भारतीय समाज में सर्वाधिक श्रद्धेय और सम्मानीय माने गए हैं। उन्होंने भारतीय इतिहास की हस्तलिखित पाण्डुलिपियाँ तो तैयार की है, साथ ही आम आदमी के वंश वृक्ष के इतिहास का निरंतर सुरक्षित रखा और उसे आज भी अभिवृद्धि किए जा रहे हैं। परन्तु ऐसे सामाजिक, पारिवारक इतिहास और वंशावलियों के रचयिताओं को आज भारतीय समाज ने विस्मृत ही नहीं कर दिया बल्कि वे काल की अंधेरी गलियों में धीरे-धीरे गुम होते जा रहे हैं। प्राचीन काल में भोजपत्र, ताम्रपत्र, शिलालेख के माध्यम से वंशावली लेखकों ने इसे लिखित रूप दिया जिसे वर्तमान काल में कागज की बहियों पर लिखा जा रहा है। इन प्राचीन अभिलेखों को समाज भूलता जा रहा है जबकि विदेशों में पुरानी लिखीत सामग्री पर शोध किये जा रहे हैं। हमें ज्ञात है किस मुगल काल में विदेशी आक्रांताओं ने पुराने ग्रंथ, धार्मिक पुस्तकों और वंशावली की पोथियों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फिर भी वंशावली लेखकों ने अपनी वंशावली को अपने प्राणों से भी अधिक मूल्यवान मानते हुए इनकी रक्षा की। बाद में अंग्रेजों ने भी इन लेखकों को प्रताड़ित किया और दबाने की कोशिश की अतः इस शोध पत्र में वंशावली लेखन में वर्तमान चुनौतियां तथा संरक्षण एक ऐतिहासिक अध्ययन किया गया है । 

मुख्य बिन्दु:- वंशावली का परिचय , वंशावली परम्परा के लेखक , वंशावली लेखन का महत्व एवं प्रभाव , वंशावली लेखकों के मुख्य कार्य , लेखन की समस्या व संरक्षण एवं निष्कर्ष ।